यह एक प्रेम कहानी है और इस कहानी में ससपेंस बहुत है।
होश आने पर रूद्र ने अमृता को अपने पास खड़ा पाया और इधर उधर देखा तो उसे समझ आया कि वह अमृता के घर पर है रुद्र के होश आते ही अमृता खुश हो गई पर अपनी खुशी जाहिर ना करते हुए.... रूद्र से अमृता ने कहा तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है
रूद्र अब मुझे अच्छा लग रहा है अब मैं ठीक हूं और यह कहकर रुद्र बिस्तर से उठने लगता है
अमृता बोलती है क्या हुआ कहीं जाना है जो बिस्तर से उठ रहे हो ....
रूद्र बोला अब मैं ठीक हूं मैं वापस गांव के किनारे जा रहा हूं और तुम्हारा धन्यवाद जो तुमने मेरी जान बचाई
अमृता झूठ मुठ के गुस्से से बोली मैंने तुम्हारी जान नहीं बचाई बल्कि .अपनी जान बचाई है
यह सुनकर रुद्र प्यार भरी नजरों से अमृता को देखने लगता है तभी वहां रूपवती आ जाती हैं.... और कहती हैं अरे रूद्र तुम क्यों उठा रहे हो कुछ चाहिए
अमृता बोली चाहिए तो कुछ नहीं यह गांव के किनारे जा रहे हैं और कह रहे हैं कि अब मैं ठीक हूं