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22 मई 2023

सोमवार

हँसना जरूरी है, मन में खुशी रहना जरूरी है, खुश रहना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है और यह खुशी अंदर है। हमारे भीतर। मेरा लिखने का मन नहीं कर रहा है, कभी करता है, कभी नही करता है। क्या लिखूँ यह भी समझ नहीं आ रहा है, मेरी विधा बदल गई है। जो उपन्यास मैं पहले लिखा करता था और मुझे लिखने में आनंद भी आता था, अब नही आता है। वह उपन्यासों की सीरीज पूरी नही हुई है और उसमें मुझे न जाने आनंद क्यों नहीं आ रहा है। उन्हें लिखने बैठता हूँ तो लिख ही नहीं पाता हूँ। कारण क्या है दिखाई नहीं देता। शायद मेरी सोच बदल गई है। पहले मैं नया लिखने में आनंद लेता था, पर अब ऐसा लगता है, जैसे मुझे पहले उन अधूरी कहानियों को पूरा कर देना चाहिए।

न जाने मैं क्यों अभी लिख नहीं पा रहा हूँ। इस समय मेरा मन लिखना छोड़कर जाना चाहता है। मुझे लिखना पसंद है। फिर भी न जाने क्यों मैं अभी भागना चाहता हूँ। लगता है, मेरे पास ऊर्जा नहीं बची है, पर अभी तो सुबह ही हुई है।

मैं थक तो गया हूँ, मेरे हाथ पैर भी दर्द दे रहे हैं। इसलिए मैं बहुत समय तक खुद को एकाग्र नहीं रख पा रहा हूँ। मैंने परसों कुछ ज्यादा ही काम कर लिया था। उसने मुझे बहुत तेज थका दिया है। मैं कल भी नहीं लिख पा रहा था और जो आज लिख रहा हूँ वह भी ऊपर-ऊपर से लिख रहा हूँ। इतनी देर हो गई लिखते-लिखते पर आत्मा से जुड़ ही नहीं पा रहा हूँ।

क्या मुझे आराम कर लेना चाहिए। हाँ आज मुझे छुट्टी लेनी चाहिए। नहीं तो कल भी यह हालत रहेगी। पर मैं आराम नही कर पाऊँगा, घर में आज काम है, मैं और ज्यादा थक जाऊँगा, पर मैं कोशिश करूंगा की मेरे दिमाग को आराम मिले।

राम राम।

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22 मई 2023

सोमवार

हँसना जरूरी है, मन में खुशी रहना जरूरी है, खुश रहना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है और यह खुशी अंदर है। हमारे भीतर। मेरा लिखने का मन नहीं कर रहा है, कभी करता है, कभी नही करता है। क्या लिखूँ यह भी समझ नहीं आ रहा है, मेरी विधा बदल गई है। जो उपन्यास मैं पहले लिखा करता था और मुझे लिखने में आनंद भी आता था, अब नही आता है। वह उपन्यासों की सीरीज पूरी नही हुई है और उसमें मुझे न जाने आनंद क्यों नहीं आ रहा है। उन्हें लिखने बैठता हूँ तो लिख ही नहीं पाता हूँ। कारण क्या है दिखाई नहीं देता। शायद मेरी सोच बदल गई है। पहले मैं नया लिखने में आनंद लेता था, पर अब ऐसा लगता है, जैसे मुझे पहले उन अधूरी कहानियों को पूरा कर देना चाहिए।

न जाने मैं क्यों अभी लिख नहीं पा रहा हूँ। इस समय मेरा मन लिखना छोड़कर जाना चाहता है। मुझे लिखना पसंद है। फिर भी न जाने क्यों मैं अभी भागना चाहता हूँ। लगता है, मेरे पास ऊर्जा नहीं बची है, पर अभी तो सुबह ही हुई है।

मैं थक तो गया हूँ, मेरे हाथ पैर भी दर्द दे रहे हैं। इसलिए मैं बहुत समय तक खुद को एकाग्र नहीं रख पा रहा हूँ। मैंने परसों कुछ ज्यादा ही काम कर लिया था। उसने मुझे बहुत तेज थका दिया है। मैं कल भी नहीं लिख पा रहा था और जो आज लिख रहा हूँ वह भी ऊपर-ऊपर से लिख रहा हूँ। इतनी देर हो गई लिखते-लिखते पर आत्मा से जुड़ ही नहीं पा रहा हूँ।

क्या मुझे आराम कर लेना चाहिए। हाँ आज मुझे छुट्टी लेनी चाहिए। नहीं तो कल भी यह हालत रहेगी। पर मैं आराम नही कर पाऊँगा, घर में आज काम है, मैं और ज्यादा थक जाऊँगा, पर मैं कोशिश करूंगा की मेरे दिमाग को आराम मिले।

राम राम।

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हँसना जरूरी है, मन में खुशी रहना जरूरी है, खुश रहना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है और यह खुशी अंदर है। हमारे भीतर। मेरा लिखने का मन नहीं कर रहा है, कभी करता है, कभी नही करता है। क्या लिखूँ यह भी समझ नहीं आ रहा है, मेरी विधा बदल गई है। जो उपन्यास मैं पहले लिखा करता था और मुझे लिखने में आनंद भी आता था, अब नही आता है। वह उपन्यासों की सीरीज पूरी नही हुई है और उसमें मुझे न जाने आनंद क्यों नहीं आ रहा है। उन्हें लिखने बैठता हूँ तो लिख ही नहीं पाता हूँ। कारण क्या है दिखाई नहीं देता। शायद मेरी सोच बदल गई है। पहले मैं नया लिखने में आनंद लेता था, पर अब ऐसा लगता है, जैसे मुझे पहले उन अधूरी कहानियों को पूरा कर देना चाहिए।

न जाने मैं क्यों अभी लिख नहीं पा रहा हूँ। इस समय मेरा मन लिखना छोड़कर जाना चाहता है। मुझे लिखना पसंद है। फिर भी न जाने क्यों मैं अभी भागना चाहता हूँ। लगता है, मेरे पास ऊर्जा नहीं बची है, पर अभी तो सुबह ही हुई है।

मैं थक तो गया हूँ, मेरे हाथ पैर भी दर्द दे रहे हैं। इसलिए मैं बहुत समय तक खुद को एकाग्र नहीं रख पा रहा हूँ। मैंने परसों कुछ ज्यादा ही काम कर लिया था। उसने मुझे बहुत तेज थका दिया है। मैं कल भी नहीं लिख पा रहा था और जो आज लिख रहा हूँ वह भी ऊपर-ऊपर से लिख रहा हूँ। इतनी देर हो गई लिखते-लिखते पर आत्मा से जुड़ ही नहीं पा रहा हूँ।

क्या मुझे आराम कर लेना चाहिए। हाँ आज मुझे छुट्टी लेनी चाहिए। नहीं तो कल भी यह हालत रहेगी। पर मैं आराम नही कर पाऊँगा, घर में आज काम है, मैं और ज्यादा थक जाऊँगा, पर मैं कोशिश करूंगा की मेरे दिमाग को आराम मिले।

राम राम।


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BN ID: 2940179885887
Publisher: Sahitya press
Publication date: 07/09/2024
Series: ?????
Sold by: Draft2Digital
Format: eBook
File size: 349 KB
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