दो टुकड़े नींद

दो टुकड़े नींद

by अमृत कडेल
दो टुकड़े नींद

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by अमृत कडेल

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Overview

मैंने कभी सुना था कि हर मानव के अंतस्तल में किसी न किसी रूप में एक कवि मन छुपा रहता है जो हर किसी घटित या अघटित घटना या वार्तालाप को अपनी काल्पनिक विचार शृंखलाओं से अपने मन-चाहे शब्दों का अमलीजामा पहनाने की कोशिश करता है। बस इसी कवि मन की खोज और जीवन जगत के आधार पर अपनी नन्हीं प्राकल्पनाओं को समेट कर उन्हें काव्य रूप देते हुए अपनी काव्य कृति ''दो टुकड़े नींद'' को आप पाठकगणों के समक्ष प्रस्तुत करने का एक सप्रयास दुःसाहस किया है। लंबे समय से हृदय में उठने वाले प्रत्येक मनोभाव हर्ष, विषाद, शृंगार, वियोग, जिज्ञासा, प्रेम आदि को बूँद-बूँद पानी की तरह समेटते हुए, अनुभवों के समेकित जल को संचित कर या यूँ कहें तो टुकड़े-टुकड़े शब्दों को जोड़कर कुछ न कुछ लिखने का प्रयास किया है। सुधिजनों के अनुसार ये कविताएँ हैं जो विभिन्न आकारों में ढलती रहीं, परिवेश की विभिन्नता को स्वयं में अंतर्निहित कर मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष को उजागर करने का प्रयत्न करती दिखीं। इन्हीं कविताओं के इस संग्रह में काव्य की विविध विधाओं गीत, कविता, छंद, मुक्तक, दोहे, कुंडलिया व कुछ माहिये समेटने का अकिंचन प्रयास किया है।

Product Details

ISBN-13: 9789386619730
Publisher: Redgrab Books Pvt Ltd
Publication date: 07/29/2021
Pages: 136
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.29(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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