???? ???? (Ruhi Maisi)
‘दस्युरानी गुड़िया’, ‘शुभ दृष्टि’ और “लाइफ एण्ड टाइम्स ऑफ डैक्वाइट क्वीन पुतलीबाई” की तरह “रूही मैसी” भी मार्मिक कहानियों और खट्टे-मीठे संस्मरणों का गुलदस्ता है। विख्यात लेखक के पास कहने को बहुत कुछ होने के साथ-साथ एक अपनी खुद की भाषा-शैली भी है जो हर मोड़ पर हृदय को छूती हुई चलती है। रूही मैसी जो पुस्तक का टाइटल भी है समकालीन भोपाली समाज में एक मुस्लिम-ईसाई पेरेन्टेज की युवा पुत्री की आशाओं, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के फलीभूत होने के मार्ग में आने वाली कठिनाईयों का प्रतिबिंब है। वह भरी जवानी में सपने देखती है जीवन भर हंसने-गाने के, पर निर्मम भाग्य उसे सभी कुछ देता है.... हंसना गाना नहीं। कहानी-संग्रह में आठ कहानियाँ हैं। इनमें से कुछ तो लेखक से साक्षात हुए पावन चरित्रों पर, कुछ घटित घटनाओं पर, कुछ जज्बातों पर और कुछ स्त्री-पुरुष संबंधों पर आधारित हैं। “सभी भाग्यवान पर सभी अभागे” पूर्णत: सत्य पर आधारित कथा है। खरबपति परिवार का एक स्वाभिमानी वारिस सड़क पर वॉयलिन बजाकर जीविकोपार्जन करने में गौरवान्वित होता है बजाय अपने बाप के ऊपर बोझ बनकर रहने में। वियतनाम युद्ध में, एक महीने के भीतर ही वह एक पैर से पंगु हो जाता है। पर यह राज़ उसके घर वालों को मालूम होता है उसकी अन्त्येष्टि के दिनक्यों और कैसे? स्टानफोर्ड दंपत्ति हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जाते हैं अपने मेधावी पुत्र एवं पूर्व छात्र के नाम से एक स्मारक खडा करने की प्रार्थना लेकर.... परन्तु लौटते हैं स्वयं की यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय लेकर। उन्हें क्यों मजबूर होना पड़ जाता है अपनी स्वयं की यूनिवर्सिटी बनाने पर? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी क्यों अपने एक मेधावी छात्र के लिए स्मारक बनाने से इन्कार कर देती हैं?
"1143195450"
???? ???? (Ruhi Maisi)
‘दस्युरानी गुड़िया’, ‘शुभ दृष्टि’ और “लाइफ एण्ड टाइम्स ऑफ डैक्वाइट क्वीन पुतलीबाई” की तरह “रूही मैसी” भी मार्मिक कहानियों और खट्टे-मीठे संस्मरणों का गुलदस्ता है। विख्यात लेखक के पास कहने को बहुत कुछ होने के साथ-साथ एक अपनी खुद की भाषा-शैली भी है जो हर मोड़ पर हृदय को छूती हुई चलती है। रूही मैसी जो पुस्तक का टाइटल भी है समकालीन भोपाली समाज में एक मुस्लिम-ईसाई पेरेन्टेज की युवा पुत्री की आशाओं, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के फलीभूत होने के मार्ग में आने वाली कठिनाईयों का प्रतिबिंब है। वह भरी जवानी में सपने देखती है जीवन भर हंसने-गाने के, पर निर्मम भाग्य उसे सभी कुछ देता है.... हंसना गाना नहीं। कहानी-संग्रह में आठ कहानियाँ हैं। इनमें से कुछ तो लेखक से साक्षात हुए पावन चरित्रों पर, कुछ घटित घटनाओं पर, कुछ जज्बातों पर और कुछ स्त्री-पुरुष संबंधों पर आधारित हैं। “सभी भाग्यवान पर सभी अभागे” पूर्णत: सत्य पर आधारित कथा है। खरबपति परिवार का एक स्वाभिमानी वारिस सड़क पर वॉयलिन बजाकर जीविकोपार्जन करने में गौरवान्वित होता है बजाय अपने बाप के ऊपर बोझ बनकर रहने में। वियतनाम युद्ध में, एक महीने के भीतर ही वह एक पैर से पंगु हो जाता है। पर यह राज़ उसके घर वालों को मालूम होता है उसकी अन्त्येष्टि के दिनक्यों और कैसे? स्टानफोर्ड दंपत्ति हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जाते हैं अपने मेधावी पुत्र एवं पूर्व छात्र के नाम से एक स्मारक खडा करने की प्रार्थना लेकर.... परन्तु लौटते हैं स्वयं की यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय लेकर। उन्हें क्यों मजबूर होना पड़ जाता है अपनी स्वयं की यूनिवर्सिटी बनाने पर? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी क्यों अपने एक मेधावी छात्र के लिए स्मारक बनाने से इन्कार कर देती हैं?
30.99 In Stock
???? ???? (Ruhi Maisi)

???? ???? (Ruhi Maisi)

by ??? ?????? ??????????? (Avadha Naraya?a Srivastava)
???? ???? (Ruhi Maisi)

???? ???? (Ruhi Maisi)

by ??? ?????? ??????????? (Avadha Naraya?a Srivastava)

eBook

$30.99  $40.99 Save 24% Current price is $30.99, Original price is $40.99. You Save 24%.

Available on Compatible NOOK devices, the free NOOK App and in My Digital Library.
WANT A NOOK?  Explore Now

Related collections and offers


Overview

‘दस्युरानी गुड़िया’, ‘शुभ दृष्टि’ और “लाइफ एण्ड टाइम्स ऑफ डैक्वाइट क्वीन पुतलीबाई” की तरह “रूही मैसी” भी मार्मिक कहानियों और खट्टे-मीठे संस्मरणों का गुलदस्ता है। विख्यात लेखक के पास कहने को बहुत कुछ होने के साथ-साथ एक अपनी खुद की भाषा-शैली भी है जो हर मोड़ पर हृदय को छूती हुई चलती है। रूही मैसी जो पुस्तक का टाइटल भी है समकालीन भोपाली समाज में एक मुस्लिम-ईसाई पेरेन्टेज की युवा पुत्री की आशाओं, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के फलीभूत होने के मार्ग में आने वाली कठिनाईयों का प्रतिबिंब है। वह भरी जवानी में सपने देखती है जीवन भर हंसने-गाने के, पर निर्मम भाग्य उसे सभी कुछ देता है.... हंसना गाना नहीं। कहानी-संग्रह में आठ कहानियाँ हैं। इनमें से कुछ तो लेखक से साक्षात हुए पावन चरित्रों पर, कुछ घटित घटनाओं पर, कुछ जज्बातों पर और कुछ स्त्री-पुरुष संबंधों पर आधारित हैं। “सभी भाग्यवान पर सभी अभागे” पूर्णत: सत्य पर आधारित कथा है। खरबपति परिवार का एक स्वाभिमानी वारिस सड़क पर वॉयलिन बजाकर जीविकोपार्जन करने में गौरवान्वित होता है बजाय अपने बाप के ऊपर बोझ बनकर रहने में। वियतनाम युद्ध में, एक महीने के भीतर ही वह एक पैर से पंगु हो जाता है। पर यह राज़ उसके घर वालों को मालूम होता है उसकी अन्त्येष्टि के दिनक्यों और कैसे? स्टानफोर्ड दंपत्ति हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जाते हैं अपने मेधावी पुत्र एवं पूर्व छात्र के नाम से एक स्मारक खडा करने की प्रार्थना लेकर.... परन्तु लौटते हैं स्वयं की यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय लेकर। उन्हें क्यों मजबूर होना पड़ जाता है अपनी स्वयं की यूनिवर्सिटी बनाने पर? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी क्यों अपने एक मेधावी छात्र के लिए स्मारक बनाने से इन्कार कर देती हैं?

Product Details

ISBN-13: 9789355944139
Publisher: Concept Publishing Company Pvt. Ltd.
Publication date: 06/30/2012
Sold by: Barnes & Noble
Format: eBook
Pages: 224
File size: 334 KB
From the B&N Reads Blog

Customer Reviews