Jharkhand Ki Lokkathayen

Jharkhand Ki Lokkathayen

by Dr. Mayank Murari
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by Dr. Mayank Murari

Hardcover

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Overview

भारतीय संस्कृति केवल लिखित शास्त्रों में ही नहीं, बल्कि यह मौखिक परंपराओं के कारण भी समृद्ध हुई है। मौखिक परंपरा में लोक-साहित्य एक बड़ा क्षेत्र है, जिसमें लोककथाएँ, कहावतें, लोरियाँ, लोक-खेल, लोक-गीत और लोक-नाट्य शामिल हैं। लोक-साहित्य भारतवर्ष नामक भवन का आधार है, जिस पर समस्त भारतीय साहित्य टिका हुआ है। लोककथाएँ किसी क्षेत्र विशेष की कथाएँ हैं, जो परंपरागत रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती जाती हैं। इनका अस्तित्व जनश्रुतियों के माध्यम पर निर्भर करता है। लोककथा की प्राचीनता भारतीय संस्कृति के इतिहास के साथ जुड़ी है। लोक-जीवन में प्रचलित कथाओं की भावभूमि पर ही हितोपदेश, वेताल पंचविंशति, जातक कथा, बृहत्कथा मंजरी जैसे ग्रंथों में कथाओं की रचना की गई। लोककथा मंगलकामना की भावना को समावेशित किए होती है। सबके सुख, शुभ और मंगल की कामना एवं चाहत ही लोककथाओं का मूल संदेश होता है। युगों से लोककथाएँ मानव-मूल्यों का संवहन करती रही हैं। यह एक सच्चाई है कि जैसे-जैसे हमारे जीवन से लोक एवं लोककथाएँ गुम होती गईं, वैसे-वैसे मानव-मूल्यों का भी क्षरण होता गया। इस संकलन में झारखंड की पंचपरगनिया, कुडुख, संताली आदि की कुछ चुनिंदा लोककथाओं का संकलन किया है जिनसे वहाँ की समृद्ध लोक-संस्कृति, परिवेश और परंपराओं की जानकारी पाठकों को मिल सकेगी।

Product Details

ISBN-13: 9789390378746
Publisher: PRABHAT PRAKASHAN PVT LTD
Publication date: 06/25/2021
Pages: 170
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.56(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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